एक नन्हें से बच्चे की कहानी

यह कहानी एक गाँव की एक नन्ही सी लड़की के बारे में है, जिसका नाम चंदन था। चंदन बहुत ही मासूम और खुशमिजाज थी, लेकिन उसका परिवार बहुत ही गरीब था।
चंदन के पिता एक मजदूर थे और घर का खर्च उनकी आमदनी से ही चलता था। उनका परिवार दिन-रात की मेहनत के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं कर पा रहा था।
चंदन एक बार अपने पिता से पूछती है, “पापा, हमारा परिवार इतना गरीब क्यों है? क्या हम कुछ नहीं कर सकते अपनी स्थिति सुधारने के लिए?”
पिता ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “बेटा, हमें तो कोई विकल्प नहीं है। हमें यहीं रहकर अपनी मेहनत करते रहना होगा।”
चंदन को यह समझ में नहीं आया, और वह निराश हो गई। लेकिन फिर उसके दिल में एक आदर्श उदय हुआ। वह निर्णय लिया कि वह अपने परिवार की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ करेगी।
चंदन ने सोचा कि वह गाँव के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षा केंद्र खोलेगी। वह अपने दोस्तों और परिवार के सहयोग से एक स्कूल खोलने का सपना देखती है।
चंदन ने मेहनत और उत्साह से काम किया, और अंततः उसका सपना साकार हो गया। उसने गाँव में एक स्कूल खोला, जो गरीब बच्चों के लिए मुफ्त में शिक्षा प्रदान करता था।
चंदन की मेहनत और संघर्ष ने उसके परिवार की स्थिति में सुधार लाया और उसने गाँव के कई बच्चों के जीवन को बदल दिया। उसका सपना न केवल उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए भी एक आदर्श बन गया।
चंदन की कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटी छोटी कोशिशें और उत्साह से हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। उसने अपनी आत्मविश्वास के साथ संघर्ष किया और स्वयं के परिवार के लिए न केवल सुधार किया, बल्कि अपने समाज के लिए भी एक प्रेरणा स्त्रोत बनी।

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