एक गाँव में एक भूतिया जंगल था। जिसके बारे में लोग कहते थे कि उसमें एक चुड़ैल बसती है। जंगल के पास एक नदी थी, जो कि उस चुड़ैल के आवास की ओर जाती थी। गाँव के लोग जंगल में कभी नहीं जाते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि चुड़ैल उन्हें पकड़ कर ले जाएगी। लेकिन एक दिन एक बहादुर युवक, राज, ने निर्धारित किया कि वह जंगल में जाकर देखेगा कि क्या सचमुच में चुड़ैल होती है या नहीं।
राज ने अपना बस्ता बंधा और नदी की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसने खूबसूरत फूलों की खेती, हरियाली से भरी पेड़-पौधों की रानियों को देखा। उसने सोचा, “यहाँ तो कोई चुड़ैल नहीं है, यह सब बस लोगों का डर है।” अचानक, राज ने नदी के किनारे एक बड़ी-सी बिल्ली देखी। वह बिल्ली बड़ी ही भयानक दिख रही थी। राज ने सोचा कि शायद यही वह चुड़ैल है। लेकिन जब वह बिल्ली के पास गया, तो उसने देखा कि वह बस एक बिल्ली ही थी, कुछ अधिक नहीं।
राज ने आगे बढ़ते हुए नदी के किनारे एक गुफा देखी। वहाँ से आवाज़ आ रही थी। राज धीरे-धीरे गुफा के पास गया और देखा कि वहाँ एक बुढ़िया बैठी थी, जो कि एक बोरी में रोटियाँ बना रही थीं। राज को थोड़ा हैरानी हुई कि कैसे उसे चुड़ैल का स्वरूप धारण किया गया। लेकिन बुढ़िया ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “क्या चाहिए, बेटा?” राज ने घबराकर कहा, “मैंने सुना था कि यहाँ एक चुड़ैल बसती है। क्या आप वह चुड़ैल हैं?”
बुढ़िया ने हंसते हुए कहा, “बेटा, मैं कोई चुड़ैल नहीं हूँ। मैं एक साधारण औरत हूँ, जो कि यहाँ अकेले में रोटियाँ बना रही हूँ।” राज ने अपनी गलती मानी और बुढ़िया से माफी मांगी। उसने बुढ़िया की मदद की और उसके साथ थोड़ा समय बिताया। बुढ़िया ने उसे अपने जीवन के कुछ उपयोगी सीख दीं और उसे आशीर्वाद दिया। राज ने वापस अपने गाँव की ओर रास्ता बनाया, लेकिन उसका मन अब भी चुड़ैल पर था। उसने सोचा, “चुड़ैल नहीं, बल्कि यह लोगों का भय और मिथक है।”
इस घटना ने राज को यह सिखाया कि हमें अपनी सोच को खोल कर देखना चाहिए, और हमें हमेशा लोगों की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। अक्सर, हमारी भ्रांतियाँ हमें वास्तविकता से दूर ले जाती हैं।