एक समृद्ध नगर में, जहां लोग अपनी धन-संपदा के लिए जाने जाते थे, वहाँ एक अजीबोगरीब घटना घटी। इस नगर का नाम था सुवर्णपुरी, और यहाँ के निवासी अपने धन को बहुत ही सावधानी से रखते थे। सुवर्णपुरी में एक व्यक्ति था, जिसका नाम था विभूतिमल। विभूतिमल, धनीमल की कहानी से प्रेरित होकर, अपने धन को और भी सुरक्षित रखने का निश्चय करता है।
विभूतिमल ने अपने सोने को एक विशाल गोले के रूप में ढाला और उसे एक गुप्त स्थान पर छिपा दिया। लेकिन उसने जो नहीं सोचा था, वह यह था कि उसकी इस क्रिया से उसके आस-पास के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक दिन, एक गरीब किसान, जिसका नाम था अर्जुन, विभूतिमल के गुप्त स्थान का पता लगा लेता है। अर्जुन को जब यह पता चलता है कि विभूतिमल ने अपना सारा सोना एक गोले के रूप में छिपा रखा है, तो वह इसे चुराने का निश्चय करता है। लेकिन जब वह उस गोले को उठाने की कोशिश करता है, तो पाता है कि वह बहुत भारी है और उसे उठाया नहीं जा सकता।
अर्जुन, जो अब तक धन के पीछे भाग रहा था, अचानक एक गहरी समझ प्राप्त करता है। उसे एहसास होता है कि जीवन में धन से ज्यादा महत्वपूर्ण चीजें हैं। वह विभूतिमल के पास जाता है और उसे सब कुछ बता देता है।
विभूतिमल, जो पहले अपने धन को लेकर बहुत सावधान था, अब एक नई सोच के साथ जीवन जीने का निश्चय करता है। वह और अर्जुन मिलकर समाज के लिए कुछ अच्छा करने का निश्चय करते हैं।
वे दोनों मिलकर एक विशाल उद्यान बनाते हैं, जहाँ सभी नगरवासी आ सकते हैं और प्रकृति के साथ समय बिता सकते हैं। इस उद्यान को बनाने में विभूतिमल का सोना और अर्जुन की मेहनत दोनों का योगदान रहता है।
समय के साथ, सुवर्णपुरी के लोग यह समझने लगते हैं कि जीवन में सच्ची खुशी और संतोष धन से नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मदद करने और साथ में समय बिताने से मिलती है।
विभूतिमल और अर्जुन की कहानी सुवर्णपुरी के लोगों के लिए एक मिसाल बन जाती है, और वे सभी एक साथ मिलकर एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में काम करने लगते हैं।
इस प्रकार, विभूतिमल की एक छोटी सी गलती और अर्जुन की एक बड़ी सीख ने पूरे समाज को एक नई दिशा दिखाई और सभी को सिखाया कि जीवन में “क्या फर्क पड़ता है”।