फ्लाइट नंबर 147: भाग 1

कभी कभी हमारे जीवन में ऐसी घटनाएं होती है जिनपे विश्वास करना असंभव हो जाता है। ऐसी ही एक घटना का वर्णन में अपने इस कहानी के माध्यम से करने जा रहा हूँ उम्मीद है की मेरी यह कहानी आपको पसंद आएगी। नमस्कार दोस्तों मेरा नाम रोहित है और यह कहानी केवल कल्पना मात्र है जिसका किसी के जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं है अगर किसी के जीवन से इसका सम्बन्ध होता है तो केवल यह संयोग ही हो सकता है।

तो कहानी की शुरुआत होती है जहाँ राम एयरपोर्ट पर अपने फ्लाइट का इन्तजार कर रहा है, शयद राम पहली बार फ्लाइट में सफर करेगा जिसके वजह से वह थोड़ा असहज सा महसूस कर रहा था उसके मन में कई सवाल जवाब चल रहा था। कुछ देर इन्तजार करने के बाद,

अनाउंसमेंट होती है ” “ध्यान दें, यात्रीगण। हमारी अगली उड़ान, फ्लाइट नंबर 147, अब बोर्डिंग के लिए तैयार है। कृपया अपनी सीट पर बैठें और सुरक्षित तरीके से बेल्ट को बाँधें। धन्यवाद।”

अब राम अपने फ्लाइट की तरफ जाने लगा और अपनी सीट पर जाके बैठ गया और सीट बेल्ट बांधने की कोशिश करने लगा पर उसे सीट बेल्ट लगाने में दिक्क्त आरही थी, बगल में बैठी आरुषि उसे देख रही थी,

राम की हरकतों से वह समझ गई की वह पहली बार फ्लाइट में बैठा है। और उसने राम की मदद करने की सोची और राम से बोली!

आरुषि : क्या में आपकी बेल्ट लगाने में हेल्प कर दू ?
राम (घबराते हुए ): ह पता नहीं कैसे फस गया, की लग नहीं रहा है!
आरुषि (मुस्कुराते हुए ): होजाता है,

आरुषि बेल्ट लगा देती है।

राम को थोड़ा शर्मिंदा स महसूस हुआ पर, फिर खुद को कम्फर्टेबले करने के लिए लिए अपना मोबाइल निकाला और उसमे वयस्त हो गया।

राम ने आरुषि के तरफ देखा वह एकदम आराम से अपने मोबाइल में व्यस्त थी , वह बात करना चाह रहा था पर उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या बोले!

तभी एक और अनाउंसमेंट होती है !

“महत्वपूर्ण सुचना: हमारी फ्लाइट अब उड़ान ले रही है! कृपया सीट पर बैठें और सुरक्षित रहें। धन्यवाद!”

राम थोड़ा नर्वस था, अब फ्लाइट हवा में थी, राम के बगल में बैठी आरुषि मोबाइल से खिड़की के बाहर की वीडियो बना रही थी, अब फ्लाइट बादलों के अंदर अपनी गति से उड़ता जा रहा था। आरुषि ने अपने मोबाइल का वीडियो रिकॉर्डिंग बंद किआ और अपने मोबाइल में व्यस्त हो गई।

थोड़ी देर बाद राम बोर होने लगा तो उसने सोचा, आरुषि से बात किआ जाए क्युकि आरुषि राम के तरफ देख भी नहीं रही थी उसे बात करने में थोड़ा अजीब सा लग रहा था फिर भी उसने आरुषि से बोल ही दिया।

राम (घबराते हुए ): हेय, मेरा नाम राम है।
आरुषि : ओह्ह ! नाइस नेम

इतना बोलके आरुषि चुप होगई, और अपने मोबाइल में बिजी हो गई।

राम को बड़ा अजीब लगा क्युकि उसने जैसा सोचा था वैसा रिप्लाई उसे नहीं मिला 🙁

फिर भी राम ने आरुषि से बोला

राम : आपका नाम ?
आरुषि (अपना नाम छुपाते हुए ) : कोमल ! ( कहानी में आगे जानेंगे की आरुषि ने अपना नाम कोमल क्यों बताया )
राम : ओह्ह बहुत अच्छा नाम है।
आरुषि : थैंक!
राम : आप इंडिया में कहाँ से हो ?
आरुषि : दिल्ली से!
राम: दिल्ली में क्या करती हो ?
आरुषि : कुछ नहीं !

आरुषि के जवाबों से राम को ठीक नहीं लगा क्युकि आरुषि उसकी बातों में कोई भी इंटरेस्ट नहीं ले रही थी। तो वह चुप हो गया और अपने मोबाइल में बिजी हो गया।

थोड़ी देर बाद राम को नींद आने लगा और वह सो गया!

थोड़ी देर बाद!

राम की आंखे खुली उसने बगल में देखा आरुषि वहां नहीं थी फिर उसने अपने दूसरे साइड देखा तो वहां भी कोई नहीं था, राम ने बेल्ट खोला और खड़े होके देखा तो पाया फ्लाइट में कोई नहीं है! अब उसने भागते हुए दूसरे क्लास में जाके देखा तो वहां भी कोई नहीं था। अब उसके होश उड़ गए, अब वह भागते हुए पायलट के केबिन की साइड जाके देखा वहां भी कोई नहीं था!

अब राम के समझ कुछ नहीं आ रहा था, उसे लगा की वह सपना देख रहा है। उसने खुद को थप्पड़ मारा अब वह और टेंशन में आ गया क्युकि ये घटना सच में हो रहा था।
अब राम के कुछ समझ नहीं आरहा था वह क्या करे। फ्लाइट अपने गति से उड़ रहा था।

काली अँधेरी रात में बिना पॉयलेट के उड़ती प्लेन में राम शांत होके बैठ गया यही सोच रहा था की फ्लाइट कहाँ जाके रुकेगा, क्रैश हो गया तो क्या होगा, अचानक से लोग कहाँ गायब हो गए और अनगिनत सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे।

उम्मीद है अबतक की कहानी आपको पसंद आई होगी, Flight No. 147: समय का अनोखा सफर कहानी अगले भाग में जारी रहेगा।

Leave a Comment