किशोरी की कहानी
किशोरी एक साधारण गाँव की लड़की थी, जिसका सपना था कि वह अपने परिवार की सबसे पहली शिक्षा प्राप्त करें और अपने गाँव की सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल बनें। लेकिन उसका सपना सिर्फ एक सपना ही रह गया।
उसके पिता की मृत्यु के बाद, किशोरी के परिवार की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब हो गई। उसे अपने दो छोटे भाइयों और माँ का ख्याल रखना पड़ता था। उसने स्कूल छोड़ दिया और एक नौकरी ढूंढने के लिए गाँव के बाहर चली गई।
उसने एक गरीब किराएदार के यहाँ काम किया, पर उसकी मजबूरी ने उसे सालों तक वहाँ बाँध दिया। उसके दिन रात की मेहनत और परिश्रम के बावजूद, उसका जीवन अच्छा नहीं था।
एक दिन, उसने एक गंभीर बीमारी को लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद, अपने जीवन की सबसे मुश्किल लड़ाई लड़ी। उसका परिवार उसके लिए इलाज के लिए अपनी तन-मन से कोशिश करता रहा, लेकिन उसकी बीमारी बढ़ती गई।
उसका जीवन एक संघर्ष बन गया, जिसमें उसका मन और शरीर दोनों थक चुके थे। अंत में, उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, अपने सपनों को अधूरा छोड़ दिया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन कभी-कभी बहुत ही कठिनाईयों से भरा होता है, लेकिन हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। इसके बजाय, हमें संघर्ष को नापसंद करना चाहिए और संघर्षों से उबरने के लिए हमेशा प्रेरित रहना चाहिए।