एक गहरी रात की चांदनी और गर्मी से भरी हुई रात के दिन के बाद, गाँव के पास एक पुराना बगीचा था। लोग कहते थे कि उस बगीचे में रात के समय भूतों की चीखें सुनाई देती हैं। यह कहानी एक ऐसी रात की है जब तीन दोस्त ने उस भूतिया बगीचे में जाने का निर्णय किया। राम, श्याम, और मोहन, तीनों दोस्त गाँव के पास रहते थे। एक दिन, वे बगीचे के बारे में सुनकर रोमांचित हो गए और रात के समय उस बगीचे में जाने का निर्णय किया। उन्होंने अपने बस्ते के साथ बगीचे की ओर प्रस्थान किया। जब वे बगीचे के पास पहुँचे, तो उन्हें वहाँ की वातावरण में कुछ अजीबोगरीबी महसूस हुई। रात की अंधेरी छाँव में, पेड़ों के नीचे भूतों की स्वर्णिम आँखों की झलक दिखाई दी। राम डर के मारे डट गया, श्याम अचानक चिल्लाया, और मोहन भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन उन्होंने एक-दूसरे को साथ नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे वे बगीचे के अंदर चलने लगे, और उन्हें लगता था कि कुछ उनके पीछे है। एक-एक करके, उन्हें एक अजीब चीज का सामना करना पड़ा। बगीचे के बीच में, उन्होंने एक विशालकाय वृक्ष देखा। वहाँ पर, वे एक गहरा गड्ढा देखा, जिसमें एक पुरानी कुआं थी। गड्ढे के चारों ओर अंधकार था, और उसमें कुछ अजीब आवाज़ें आ रही थीं। राम, श्याम, और मोहन ने एक दूसरे को ताकते हुए, उस गड्ढे के पास जाया। वहाँ पर, उन्होंने अपने अदृश्य डर को परास्त करते हुए, गड्ढे के अंदर गए। जैसे ही वे गड्ढे में गए, वे अपनी आँखों का विश्वास नहीं कर सके। वहाँ उन्हें कुछ बहुत ही डरावनी चीखें सुनाई देने लगी। धीरे-धीरे, उन्होंने एक पुरानी औरत का पुतला देखा, जो कि उन्हें चीख रही थी। वे डर के मारे डट गए, परन्तु बिना किसी वास्तविक आवाज़ के, पुतला चीखना जारी रखा। धीरे-धीरे, उन्होंने एक दिव्य तेज देखा, जो कि पुतले के सिरे के पास था। उन्होंने विचार किया कि क्या वह दिव्य तेज किसी भूत या भगवान की स्वरुपता है। पर धीरे-धीरे, उन्होंने एक स्वर्णिम आलीशान सोने की पेड़ी देखी, जो कि पुतले के सिरे के पास थी। वे हैरान थे और उन्हें लगा कि शायद यह सब एक भूलभुलैया है। धीरे-धीरे, उन्होंने उन आवाज़ों का अनुसरण किया, और उन्हें गड्ढे के और भी गहराई में ले गए। फिर अचानक, वे एक बहुत ही अदृश्य मोहरे का सामना करते हैं। मोहरे के ऊपर कुछ विशेष लेख होते हैं, जो कि उन्हें विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। वे मोहरे को पढ़ते हैं और उन्हें पता चलता है कि यह सभी केवल एक महज खिलौना था, जिसे कोई दिवालिया ने यहाँ छोड़ा था। वे सभी बहुत खुश हो गए और गड्ढे से बाहर निकल गए। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमारी भयंकर चीखें और भय केवल हमारी अविश्वासिता की प्रतिबिम्ब होती हैं, जो हमें वास्तविकता से दूर ले जाती हैं।