एक बार की बात है, एक गाँव में, जिसका नाम तेजपुर था, एक मेला आयोजित हुआ। यह मेला गाँव के सभी लोगों को एक साथ लाता था, उनकी खुशियों को साझा करता था, और उन्हें एक अवसर प्रदान करता था अपनी भागीदारी का जश्न मनाने का। यहाँ गाँव के लोगों को समय मिलता था अपने दिनचर्या से बाहर निकलने का, आपसी मिलनसार करने का, और खुशी-खुशी एक दिन बिताने का।
गाँव की सड़कों पर, मेले के लिए तैयारियाँ शुरू हो चुकी थीं। लोगों के घरों के सामने अलग-अलग खिलौने लगाए गए थे, रंग-बिरंगे पतंग उड़ाने के लिए तैयार किए गए थे, और बाजार में भोजन की सुगंध सड़कों को महका रही थी। लोग अपनी सजीवता और उत्साह के साथ बाजार में घूम रहे थे, और एक-दूसरे के साथ बातचीत कर रहे थे।
एक बच्चे का नाम आदित्य था, जो भी मेले के लिए उत्सुक था। वह अपने पिता और माँ के साथ बाजार में घूम रहा था, हर खिलौने को देखता और हर खाने की दुकान पर खुशियों से अपनी नजरें फेरता। उसने अपने पिता से एक घुड़सवार को देखते हुए कहा, “पापा, क्या हम घुड़सवारी कर सकते हैं?”
पिता ने मुस्कुराते हुए उसके पास झूला लेकर चले गए। आदित्य ने उत्साह से झूला पर बैठ लिया, जैसे वह अपनी आत्मा को स्वतंत्र कर देता। वह अपने बाबा के साथ हंसमुख और मस्ती के साथ घूमता रहा।
बाजार की ओर से, एक बड़ा तंबू लगा हुआ था, जहाँ विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती थीं। एक नाटक कार्यक्रम, जादूगर, शिकारी, और अन्य कई मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। आदित्य को यहाँ बहुत अच्छा लगा, वह अपने बाबा के साथ नाटक का आनंद लेता, और जादूगर की धमाकेदार चालें देखता रहा। मेले का मुख्य आकर्षण था भोजन की विविधता। वहाँ विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाने की दुकानें लगीं थीं, जिनमें पानी पूरी, चाट, गोलगप्पे, समोसे,
जलेबी, चाय, कॉफी, और अन्य बहुत सारे व्यंजन उपलब्ध थे। आदित्य के मुंह में पानी आ गया जब वह विभिन्न स्वादिष्ट खाने की दुकानों की सुगंध लेता रहा। उसने अपने पिता से कहा, “पापा, क्या हम इस जलेबी की दुकान पर जा सकते हैं?”
पिता ने उसकी आग्रह सुनी और वहाँ की दुकान में जा गए। आदित्य ने जलेबी का स्वाद चखा और खुशी-खुशी उसका मजा लिया। मेले के आधिकारिक हिस्से में, एक आवाज़ के द्वारा एलान किया गया कि मेला में लाइव संगीत का कार्यक्रम होगा। यह सुनते ही आदित्य की आँखों में चमक आ गई। वह बाबा को धक्का देते हुए बोला, “पापा, क्या हम लाइव संगीत के कार्यक्रम में जा सकते हैं?”
पिता ने हंसते हुए उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ स्टेज की ओर चले गए। वहाँ एक लाइव बैंड था, जो मेले के लिए संगीत गाने के लिए तैयार था। आदित्य ने बैंड की संगीत की धुन में अपने पापा के साथ नाचने का आनंद लिया, और उन्होंने मस्ती से एक अद्भुत दिन बिताया।
मेले की अंतिम घड़ी में, लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे। आदित्य अपने पिता के साथ मेले की यादों को लेकर घर की ओर बढ़ा। उसने अपने पिता से कहा, “पापा, आज हमने बहुत मज़ा किया, मेला ने हमें बहुत संवाद का अवसर प्रदान किया।” पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, बेटा, मेला हमें साथ लाता है, हमारे सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाता है, और हमें सभी को एक साथ लाता है।”
इस तरह, आदित्य और उसके पिता ने एक सुंदर, मनोहारी और साथ में भरपूर दिन बिताया, जो उन्हें एक-दूसरे के साथ संवाद करने और एक साथ बिताने का मौका प्रदान किया। मेला ने उनके जीवन में समृद्धि की धारा लाई और उन्हें एक साथ आनंद और साझेदारी का अनुभव करने का अवसर दिया। यह था गाँव का एक अद्वितीय और साथ में भरपूर मेला, जो लोगों को एक साथ लाकर सामूहिकता और सहयोग का अहसास कराता था।